Goel Prakashan
Ego is the Enemy (Hindi) |हमारा ईगो ही हमारा सबसे बड़ा शत्रु है
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हम इन्सानों की एक प्रवृत्ति है जो होनहार युवा प्रतिभाओं के करियर को बर्बाद कर देती है। यह बड़े से बड़े खजाने को भी थोड़े समय में उड़ा सकती है और विशाल कंपनियों को धराशायी कर सकती है। हमारी यह प्रवृत्ति मुश्किल समय एवं विपत्ति को असहनीय बना देती है और हमारे संघर्ष को शर्मिंदगी में बदल देती है।
हमारी इस प्रवृत्ति का नाम क्या है? ईगो, और हमारा यह ईगो हमारी महत्वाकांक्षा, हमारी सफलता और फिर से खड़े होने की हमारी क्षमता का कट्टर दुश्मन है। हमारा ईगो हमारे भीतर मौजूद एक ऐसा शत्रु है जिसके खिलाफ सभी महान दार्शनिकों ने अपनी सबसे महान और कालजयी कहानियों के माध्यम से हमें
आगाह किया है और विश्व की हर संस्कृति में, हर युग में कला के अनगिनत कार्यों में इसके दुष्प्रभावों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इस पुस्तक के पन्नों में, रायन हॉलिडे हमारे ईगो की प्रकृति और खतरों के बारे में
एक व्यावहारिक एवं व्यापक विवरण प्रदान करते हैं, जिसमें उन्होंने साहित्य, दर्शन और इतिहास के प्रेरणादायक उदाहरणों को भी शामिल किया है। ये उदाहरण हमें दिखाते हैं कि हम एक आकांक्षारत व्यक्ति के रूप में कैसे विनम्र हो सकते हैं, अपनी सफलता के समय हम कैसे दयालु हो सकते हैं और अपनी
असफलता के समय कैसे हम लचीलेपन व जुझारूपन के साथ आगे बढ़ सकते हैं। हमें अपने ईगो पर नहीं बल्कि अपने आत्मविश्वास पर भरोसा करना चाहिए।
जब ईगो की बात आती है तो इसे नष्ट करने के लिए हमें अपनी सम्पूर्ण ताकत झोंक देनी चाहिए, इससे पहले कि यह हमें नष्ट कर दे।
हमारी इस प्रवृत्ति का नाम क्या है? ईगो, और हमारा यह ईगो हमारी महत्वाकांक्षा, हमारी सफलता और फिर से खड़े होने की हमारी क्षमता का कट्टर दुश्मन है। हमारा ईगो हमारे भीतर मौजूद एक ऐसा शत्रु है जिसके खिलाफ सभी महान दार्शनिकों ने अपनी सबसे महान और कालजयी कहानियों के माध्यम से हमें
आगाह किया है और विश्व की हर संस्कृति में, हर युग में कला के अनगिनत कार्यों में इसके दुष्प्रभावों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इस पुस्तक के पन्नों में, रायन हॉलिडे हमारे ईगो की प्रकृति और खतरों के बारे में
एक व्यावहारिक एवं व्यापक विवरण प्रदान करते हैं, जिसमें उन्होंने साहित्य, दर्शन और इतिहास के प्रेरणादायक उदाहरणों को भी शामिल किया है। ये उदाहरण हमें दिखाते हैं कि हम एक आकांक्षारत व्यक्ति के रूप में कैसे विनम्र हो सकते हैं, अपनी सफलता के समय हम कैसे दयालु हो सकते हैं और अपनी
असफलता के समय कैसे हम लचीलेपन व जुझारूपन के साथ आगे बढ़ सकते हैं। हमें अपने ईगो पर नहीं बल्कि अपने आत्मविश्वास पर भरोसा करना चाहिए।
जब ईगो की बात आती है तो इसे नष्ट करने के लिए हमें अपनी सम्पूर्ण ताकत झोंक देनी चाहिए, इससे पहले कि यह हमें नष्ट कर दे।